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    Monday, 9 August 2021


    बिहार भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक राज्य है और इसकी राजधानी पटना है। यह जनसंख्या की दृष्टि से भारत का तीसरा सबसे बड़ा प्रदेश है जबकि क्षेत्रफल की दृष्टि से बारहवाँ। १५ नवम्बर, सन् २००० ई॰ को बिहार के दक्षिणी हिस्से को अलग कर एक नया राज्य झारखण्ड बनाया गया। बिहार के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में झारखण्ड, पूर्व में पश्चिम बंगाल, और पश्चिम में उत्तर प्रदेश स्थित है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। गंगा इसमें पश्चिम से पूरब की तरफ बहती है।

    बिहार
    राज्य
    बिहार
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    Rajgir - 028 Bathing Pool at foot of Hill (9245042360).jpgNalanda University India ruins.jpg
    Mahabodhi temple.jpgMaa Mundeshwari Devi.jpg
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    ऊपर दाहिने से दक्षिणावर्त (Clockwise): राजधानी पटना तथा गंगा की बाढ़ का हवाई दृष्य (मिश्री घाट के पास), प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष, कैमूर का माता मुण्डेश्वरी मंदिर, मिथिला क्षेत्र की प्रसिद्ध मधुबनी चित्रकलामहाबोधि मंदिरराजगृह का ब्रह्म कुण्ड
    Official logo of बिहार
    राजचिह्न
    गान: मेरे भारत के कंठ हार
    (मेरे भारत के गले के हार)
    भारत में बिहार की स्थिति
    भारत में बिहार की स्थिति
    निर्देशांक (Patna): 25°24′N 85°06′E / 25.4°N 85.1°E
    देशभारत
    स्थापना२२ मार्च १९१२
    राज्य बना२६ जनवरी १९५०
    राजधानीपटना
    सबसे बड़ा नगरपटना
    जिले३८
    शासन
     • सभाबिहार सरकार
     • राज्यपालBihar governer - Fagun Chauhan (भाजपा)[1]
     • मुख्यमंत्रीनीतीश कुमार (जनता दल (युनाइटेड))
     • उपमुख्यमंत्रीरेणु देवी
     • Legislature
     • Parliamentary constituenciesRajya Sabha (16 seats)
    Lok Sabha (40 seats)
    क्षेत्रफल[2]
     • कुल९४,१६३ किमी2 (36,357 वर्गमील)
    क्षेत्र दर्जा१२th
    जनसंख्या (२०११)[3]
     • कुल१०४०९९४५२
     • दर्जा3rd
     • घनत्व१,१०२ किमी2 (2,850 वर्गमील)
     • Major Ethnolinguistic GroupsBhojpurisHaripuriMaithilsMagahis
    वासीनामBihari
    GDP (२०१७–१८ )[4]
     • Total
     • Per capita38,860 (US$567.36)
    भाषाएँ
     • आधिकारिकहिन्दी[5]
     • द्वितीय राजभाषाउर्दू[6]
    समय मण्डलIST (यूटीसी+०५:३०)
    UN/LOCODEINBR
    आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोडIN-BR
    वाहन पंजीकरणBR
    HDI (2017)Increase 0.566[7] (medium) · 36th
    Literacy (2011)63.82%[8]
    Sex ratio (2011)918 /1000 [9]
    वेबसाइटhttps://gov.bih.nic.in

    बिहार की जनसंख्या का अधिकांश भाग ग्रामीण है और केवल ११.३ प्रतिशत लोग नगरों में रहते हैं। इसके अलावा बिहार के ५८% लोग २५ वर्ष से कम आयु के हैं।

    प्राचीन काल में बिहार विशाल साम्राज्यों, शिक्षा केन्द्रों एवं संस्कृति का गढ़ था। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ। 'बिहार', 'विहार' का अपभ्रंश है।

    इतिहाससंपादित करें

    वर्तमान बिहार विभिन्न एतिहासिक क्षेत्रों से मिलकर बना है। बिहार के क्षेत्र जैसे-मगधमिथिला और अंग- धार्मिक ग्रंथों और प्राचीन भारत के महाकाव्यों में वर्णित हैं।

    प्राचीन कालसंपादित करें

    सारण जिले में गंगा नदी के उत्तरी किनारे पर चिरांद, नवपाषाण युग (लगभग ४५००-२३४५ ईसा पूर्व) और ताम्र युग ( २३४५-१७२६ ईसा पूर्व) से एक पुरातात्विक रिकॉर्ड है।

    मिथिला को पहली बार इंडो-आर्यन लोगों ने विदेह साम्राज्य की स्थापना के बाद प्रतिष्ठा प्राप्त की। देर वैदिक काल (सी। १६००-११०० ईसा पूर्व) के दौरान, विदेह् दक्षिण एशिया के प्रमुख राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्रों में से एक बन गया, कुरु और पंचाल् के साथ। वेदहा साम्राज्य के राजा यहांजनक कहलाते थे। मिथिला के जनक की पुत्री एक थी सीता जिसका वाल्मीकि द्वारा लिखी जाने वाली हिंदू महाकाव्य, रामायण में भगवान राम की पत्नी के रूप में वर्णित है। बाद में विदेह राज्य के वाजिशि शहर में अपनी राजधानी था जो वज्जि समझौता में शामिल हो गया, मिथिला में भी है। वज्जि के पास एक रिपब्लिकन शासन था जहां राजा राजाओं की संख्या से चुने गए थे। जैन धर्म और बौद्ध धर्म से संबंधित ग्रंथों में मिली जानकारी के आधार पर, वज्जि को ६ ठी शताब्दी ईसा पूर्व से गणराज्य के रूप में स्थापित किया गया था, गौतम बुद्ध के जन्म से पहले ५६३ ईसा पूर्व में, यह दुनिया का पहला गणतंत्र था। जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म वैशाली में हुआ था।

    आधुनिक-पश्चिमी पश्चिमी बिहार के क्षेत्र में मगध १००० वर्षों के लिए भारत में शक्ति, शिक्षा और संस्कृति का केंद्र बने। ऋग्वेदिक् काल मे यह ब्रिहद्रत वंश का शासन था।सन् ६८४ ईसा पूर्व में स्थापित हरयंक वंश, राजगृह (आधुनिक राजगीर) के शहर से मगध पर शासन किया। इस वंश के दो प्रसिद्ध राजा बिंबिसार और उनके बेटे अजातशत्रु थे, जिन्होंने अपने पिता को सिंहासन पर चढ़ने के लिए कैद कर दिया था। अजातशत्रु ने पाटलिपुत्र शहर की स्थापना की जो बाद में मगध की राजधानी बन गई। उन्होंने युद्ध की घोषणा की और बाजी को जीत लिया। हिरुआँ वंश के बाद शिशुनाग वंश का पीछा किया गया था। बाद में नंद वंश ने बंगाल से पंजाब तक फैले विशाल साम्राज्य पर शासन किया।

    भारत की पहली साम्राज्य, मौर्य साम्राज्य द्वारा नंद वंश को बदल दिया गया था। मौर्य साम्राज्य और बौद्ध धर्म का इस क्षेत्र में उभार रहा है जो अब आधुनिक बिहार को बना देता है। ३२५ ईसा पूर्व में मगध से उत्पन्न मौर्य साम्राज्य, चंद्रगुप्त मौर्य ने स्थापित किया था, जो मगध में पैदा हुआ था। इसकी पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) में इसकी राजधानी थी। मौर्य सम्राट, अशोक, जो पाटलीपुत्र ( पटना ) में पैदा हुए थे, को दुनिया के इतिहास में सबसे बड़ा शासक माना जाता है। मौर्य सम्राजय भारत की आजतक की सबसे बड़ी सम्राजय थी ये पश्चिम मे ईरान से लेकर पूर्व मे बर्मा तक और उत्तर मे मध्य-एशिया से लेकर दक्षिण मे श्रीलंका तक पूरा भारतवर्ष मे फैला था। इस सम्राजय के पहले राजा चन्द्रगुप्त मौर्य ने कै ग्रीक् सतराप् को हराकर अफ़ग़ानिस्तां के हिस्से को जीता। इनकी सबसे बड़ी विजय ग्रीस से पश्चिम-एशिय थक के यूनानी राजा सेलेक्यूज़ निकेटर को हराकर पर्शिया का बड़ा हिस्सा जीत लिया था और संधि मे यूनानी राजकुमारी हेलेन से विवाह किये जो कि सेलेक्यूज़ निकटोर कि पुत्री थी और हमेसा के लिए यूनाननियो को भारत से बाहर रखा। इनके प्रधानमंत्री अर्चाय चाणक्य ने अर्थशास्त्र कि रचना कि जो इनके गुरु और मार्गदर्शक थे। इनके पुत्र बिन्दुसार ने इस सम्राजय को और दूर तक फैलाया व दक्षिण तक स्थापित किया। सम्राट अशोक इस सम्राजय के सबसे बड़े राजा थे। इनका पूरा राज नाम देवानामप्रिय प्रियादर्शी एवं राजा महान सम्राट अशोक था। इन्होंने अपने उपदेश स्तंभ, पहाद्, शीलालेख पे लिखाया जो भारत इतिहास के लिया बहुत महातवपूर्ण है। येे लेख् ब्राह्मी, ग्रीक, अरमिक् मे पूरे अपने सम्राज्य मे अंकित् किया। इनके मृत्यु के बाद मौर्य सम्राज्य को इनके पुुत्रौ ने दो हिस्से मे बाँट कर पूर्व और पश्चिम मौर्य राज्य कि तरह राज किया। इस सम्राज्य कि अंतिम शासक ब्रिहद्रत् को उनके ब्राह्मिन सेनापति पुष्यमित्र शूंग ने मारकर वे मगध पे अपना शासन स्थापित किया।

    सन् २४० ए में मगध में उत्पन्न गुप्त साम्राज्य को विज्ञानगणितखगोल विज्ञानवाणिज्यधर्म और भारतीय दर्शन में भारत का स्वर्ण युग कहा गया। इस वंश के समुद्रगुप्त ने इस सम्राजय को पूरे दक्षिण एशिया मे स्थापित किया। इनके पुत्र चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने भारत के सारे विदेशी घुसपैट्या को हरा कर देश से बाहर किया इसीलिए इन्हे सकारी की उपादि दी गई। इन्ही गुप्त राजाओं मे से प्रमुख स्कंदगुप्त ने भारत मे हूणों का आक्रमं रोका और उनेे भारत से बाहर भगाया और देश की बाहरी लोगो से रक्षा की। उस समय गुप्त सम्राज्य दुनिया कि सबसे बड़ी शक्ती साली सम्राज्य था। इसका राज पशिम मे पर्शिया या बग़दाद से पूर्व मे बर्मा तक और उत्तर मे मध्य एशिया से लेकर दक्षिण मे कांचीपुरम तक फैला था। इसकी राजधानी पटलीपुत्र था। इस सम्राजय का प्रभाव पूरी विश्व मे था रोम, ग्रीस, अरब से लेकर दक्षिण-पूर्व एशिय तक था।

    मध्यकालसंपादित करें

    मगध में बौद्ध धर्म मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी के आक्रमण की वजह से गिरावट में पड़ गया, जिसके दौरान कई विहार के नालंदा और विक्रमशिला के प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया गया। यह दावा किया गया कि १२ वीं शताब्दी के दौरान हजारों बौद्ध भिक्षुओं की हत्या हुई थी। डी.एन. झा सुझाव देते हैं, इसके बजाय, ये घटनाएं सर्वोच्चता के लिए लड़ाई में बौद्ध ब्राह्मण की झड़पों का परिणाम थीं। १५४० में, महान पस्तीस के मुखिया, सासाराम के शेर शाह सूरीहुमायूं की मुगल सेना को हराकर मुगलों से उत्तरी भारत ले गए थे। शेर शाह ने अपनी राजधानी दिल्ली की घोषणा की और ११ वीं शताब्दी से लेकर २० वीं शताब्दी तक, मिथिला पर विभिन्न स्वदेशीय राजवंशों ने शासन किया था। इनमें से पहला, जहां कर्नाट, अनवर राजवंश, रघुवंशी और अंततः राज दरभंगा के बाद। इस अवधि के दौरान मिथिला की राजधानी दरभंगा में स्थानांतरित की गई थी।

    आधुनिक कालसंपादित करें

    १८५७ के प्रथम सिपाही विद्रोह में बिहार के बाबू कुंवर सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। १९०५ में बंगाल का विभाजन के फलस्वरूप बिहार नाम का राज्य अस्तित्व में आया। १९३६ में उड़ीसा इससे अलग कर दिया गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिहार में चंपारण के विद्रोह को, अंग्रेजों के खिलाफ बग़ावत फैलाने में अग्रण्य घटनाओं में से एक गिना जाता है। स्वतंत्रता के बाद बिहार का एक और विभाजन हुआ और १५ नवंबर २००० में झारखंड राज्य को इससे अलग कर दिया गया। भारत छोड़ो आन्दोलन में भी बिहार की गहन भूमिका रही।
    देखें भारत छोड़ो आन्दोलन और बिहार

    भौगोलिक स्थितिसंपादित करें

    बिहार का उपग्रह द्वारा लिया गया चित्र

    उत्तर भारत में २४°२०'१०" ~ २७°३१'१५" उत्तरी अक्षांश तथा ८३°१९'५०" ~ ८८°१७'४०" पूर्वी देशांतर के बीच बिहार एक हिंदी भाषी राज्य है। राज्य का कुल क्षेत्रफल ९४,१६३ वर्ग किलोमीटर है जिसमें ९२,२५७.५१ वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र है। झारखंड के अलग हो जाने के बाद बिहार की भूमि मुख्यतः नदियों के मैदान एवं कृषियोग्य समतल भूभाग है। गंगा के पूर्वी मैदान में स्थित इस राज्य की औसत ऊँचाई १७३ फीट है। भौगोलिक तौर पर बिहार को तीन प्राकृतिक विभागो में बाँटा जाता है- उत्तर का पर्वतीय एवं तराई भाग, मध्य का विशाल मैदान तथा दक्षिण का पहाड़ी किनारा
    उत्तर का पर्वतीय प्रदेश सोमेश्वर श्रेणी का हिस्सा है। इस श्रेणी की औसत उचाई ४५५ मीटर है परन्तु इसका सर्वोच्च शिखर ८७४ मीटर उँचा है। सोमेश्वर श्रेणी के दक्षिण में तराई क्षेत्र है। यह दलदली क्षेत्र है जहाँ साल वॄक्ष के घने जंगल हैं। इन जंगलों में प्रदेश का इकलौता बाघ अभयारण्य वाल्मिकीनगर में स्थित है।
    मध्यवर्ती विशाल मैदान बिहार के ९५% भाग को समेटे हुए हैं। भौगोलिक तौर पर इसे चार भागों में बाँटा जा सकता है:-

    • १- तराई क्षेत्र यह सोमेश्वर श्रेणी के तराई में लगभग १० किलोमीटर चौ़ड़ा कंकर-बालू का निक्षेप है। इसके दक्षिण में तराई उपक्षेत्र है जो प्रायः दलदली है।
    • २-भांगर क्षेत्र यह पुराना जलोढ़ क्षेत्र है। समान्यतः यह आस पास के क्षेत्रों से ७-८ मीटर ऊँचा रहता है।
    • ३-खादर क्षेत्र इसका विस्तार गंडक से कोसी नदी के क्षेत्र तक सारे उत्तरी बिहार में है। प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ़ के कारण यह क्षेत्र बहुत उपजाऊ है। परन्तु इसी बाढ़ के कारण यह क्षेत्र तबाही के कगार पर खड़ा है।

    गंगा नदी राज्य के लगभग बीचों-बीच बहती है। उत्तरी बिहार बागमतीकोशीबूढी गंडकगंडकघाघरा और उनकी सहायक नदियों का समतल मैदान है। सोनपुनपुनफल्गू तथा किऊल नदी बिहार में दक्षिण से गंगा में मिलनेवाली सहायक नदियाँ है। बिहार के दक्षिण भाग में छोटानागपुर का पठार, जिसका अधिकांश हिस्सा अब झारखंड है, तथा उत्तर में हिमालय पर्वत की नेपाल श्रेणी है। हिमालय से उतरने वाली कई नदियाँ तथा जलधाराएँ बिहार होकर प्रवाहित होती है और गंगा में विसर्जित होती हैं। वर्षा के दिनों में इन नदियों में बाढ़ की एक बड़ी समस्या है।

    राज्य का औसत तापमान गृष्म ऋतु में ३५-४५ डिग्री सेल्सियस तथा जाड़े में ५-१५ डिग्री सेल्सियस रहता है। जाड़े का मौसम नवंबर से मध्य फरवरी तक रहता है। अप्रैल में गृष्म ऋतु का आरंभ होता है जो जुलाई के मध्य तक रहता है। जुलाई-अगस्त में वर्षा ऋतु का आगमन होता है जिसका अवसान अक्टूबर में होने के साथ ही ऋतु चक्र पूरा हो जाता है। औसतन १२०५ मिलीमीटर वर्षा का का वार्षिक वितरण लगभग ५२ दिनों तक रहता है जिसका अधिकांश भाग मानसून से होनेवाला वर्षण है।

    उत्तर में भूमि प्रायः सर्वत्र उपजाऊ एवं कृषि योग्य है। धानगेंहूँदलहनमक्कातिलहनतम्बाकू,सब्जी तथा केला, आम और लीची जैसे कुछ फलों की खेती की जाती है। हाजीपुर का केला एवं मुजफ्फरपुर की लीची बहुत ही प्रसिद्ध है।

    भाषा और संस्कृतिसंपादित करें

    हिंदी बिहार की राजभाषा और उर्दू द्वितीय राजभाषा है।[5][6]मैथिली भारतीय संविधान के अष्टम अनुसूची में सम्मिलित एकमात्र बिहारी भाषा है।[10]भोजपुरीमगहीअंगिका तथा बज्जिका बिहार में बोली जाने वाली अन्य प्रमुख भाषाओं और बोलियों में सम्मिलित हैं।[11]प्रमुख पर्वों में छठहोलीदीपावलीदशहरामहाशिवरात्रिनागपंचमी, श्री पंचमी, मुहर्रमईद,तथा क्रिसमस हैं। सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म स्थान होने के कारण पटना सिटी (पटना) में उनकी जयन्ती पर भी भारी श्रद्धार्पण देखने को मिलता है। बिहार ने हिंदी को सबसे पहले राज्य की अधिकारिक भाषा माना है।[12]

    खानपानसंपादित करें

    बिहार अपने खानपान की विविधता के लिए प्रसिद्ध है। शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनो व्यंजन पसंद किये जाते हैं। मिठाईयों की विभिन्न किस्मों के अतिरिक्त अनरसा की गोलीखाजामोतीचूर लड्डूतिलकुट यहाँ की खास पसंद है। सत्तूचूड़ा-दही और लिट्टी-चोखा जैसे स्थानीय व्यंजन तो यहाँ के लोगों की कमजोरी हैं। लहसुन की चटनी भी बहुत पसंद करते हैं। लालू प्रसाद के रेल मंत्री बनने के बाद तो लिट्टी-चोखा भारतीय रेल के महत्वपूर्ण स्टेशनों पर भी मिलने लगा है। सुबह के नास्ते में चूड़ा-दही या पूरी-जलेबी खूब खाये जाते हैं। चावल-दाल-सब्जी और रोटी बिहार का सामान्य भोजन है। बिहार[मृत कड़ियाँ] की मालपुआ काफी स्वादिष्ट होता है। यह उत्तर भारत में बनाये जाने वाली डिश है। बिहार की बाकी व्यंजनों में दालपूरी, खाजा, मखाना खीर, पेरूकिया, खजुरी, बैगन का भरता आदि शामिल है।

    खेलकूदसंपादित करें

    भारत के अन्य कई जगहों की तरह क्रिकेट यहाँ भी सर्वाधिक लोकप्रिय है। इसके अलावा फुटबॉलहाकीटेनिस, खो-खो और गोल्फ भी पसन्द किया जाता है। बिहार का अधिकांश हिस्सा ग्रामीण होने के कारण पारंपरिक भारतीय खेल कबड्डी हैं।

    उद्योगसंपादित करें

    राज्‍य के मुख्‍य उद्योग हैं -

    • मुंगेर में सिगरेट कारखाना आई टी सी
    • मुंगेर में आई टी सी के अन्य उत्पाद अगरबत्ती, माचिस तथा चावल-आटा आदि का निर्माण
    • मुंगेर में बंदुक फैक्टरी
    • मुेंगेर के जमालपुर में रेल कारखाना
    • एशिया प्रसिद्ध रेल क्रेन कारखाना जमालपुर
    • भागलपुर में शिल्क उधाेग
    • मुजफ्फरपुर और मोकामा में 'भारत वैगन लिमिटेड' का रेलवे वैगन संयंत्र,
    • बरौनी में भारतीय तेल निगम का तेलशोधक कारख़ाना है।
    • बरौनी का एच.पी.सी.एल. और अमझोर का पाइराइट्स फॉस्‍फेट एंड कैमिकल्‍स लिमिटेड (पी.पी.सी.एल.) राज्‍य के उर्वरक संयंत्र हैं।
    • सीवान, भागलपुर, पंडौल, मोकामा और गया में पांच बड़ी सूत कताई मिलें हैं।
    • उत्तर व दक्षिण बिहार में 13 चीनी मिलें हैं, जो निजी क्षेत्र की हैं तथा 15 चीनी मिलें सार्वजनिक क्षेत्र की हैं जिनकी कुल पेराई क्षमता 45,00 टी.
    • पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर और बरौनी में चमड़ा प्रसंस्‍करण के उद्योग है।
    • कटिहार और समस्‍तीपुर में तीन बड़े पटसन के कारखाने हैं।
    • हाजीपुर में दवाएं बनाने का कारख़ाना ,औरंगाबाद और पटना में खाद्य प्रसंस्‍करण और वनस्‍पति बनाने के कारखाने हैं।
    • इसके अलावा बंजारी के कल्‍याणपुर सीमेंट लिमिटेड नामक सीमेंट कारखाने का बिहार के औद्योगिक नक्‍शे में महत्‍वपूर्ण स्‍थान है।
    • औरंगाबाद का नया श्री सीमेंट का कारखाना

    मधेपुरा की यह फैक्ट्री अपने आप में देश में सबसे आधुनिक है. फैक्ट्री के निर्माण में ऑल्स्टम कंपनी ने 74 प्रतिशत राशि का निवेश किया है, वहीं भारतीय रेलवे की इस फैक्ट्री में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है. 260 एकड़ में फैली हुई है यह फैक्ट्री ।

    सिंचाईसंपादित करें

    बिहार में कुल सिंचाई क्षमता 28.63 लाख हेक्‍टेयर है। यह क्षमता बड़ी तथा मंझोली सिंचाई परियोजनाओं से जुटाई जाती है। यहाँ बड़ी और मध्‍यम सिंचाई परियोजनाओं का सृजन किया गया है और 48.97 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्रफल की सिंचाई प्रमुख सिंचाई योजनाओं के माध्‍यम से की जाती है। बिहार में शिचाई नलकूप, कुंआ,और मानसून पर निर्भर करता है

    शिक्षासंपादित करें

    एक समय बिहार शिक्षा के सर्वप्रमुख केन्द्रों में गिना जाता था। नालंदा विश्वविद्यालयविक्रमशिला विश्वविद्यालय तथा ओदंतपुरी विश्वविद्यालय प्राचीन बिहार के गौरवशाली अध्ययन केंद्र थे। १९१७ में खुलने वाला पटना विश्वविद्यालय काफी हदतक अपनी प्रतिष्ठा कायम रखने में सफल रहा। किंतु स्वतंत्रता के पश्चात शैक्षणिक संस्थानों में राजनीति तथा अकर्मण्यता करने से शिक्षा के स्तर में गिरावट आई। हाल के दिनों में उच्च शिक्षा की स्थिति सुधरने लगी है। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की स्थिति भी अच्छी हो रही है। हाल में पटना में एक भारतीय प्राद्यौगिकी संस्थान और राष्ट्रीय प्राद्यौगिकी संस्थान तथा हाजीपुर में केंद्रीय प्लास्टिक इंजिनियरिंग रिसर्च इंस्टीच्युट तथा केंद्रीय औषधीय शिक्षा एवं शोध संस्थान खोला गया है, जो अच्छा संकेत है। बिहार के सभी जिलों मे 2019 में एक-एक सरकारी इंजिनियरिंग कॉलेज खोला गया है।

    विश्वविद्यालयसंपादित करें

    चिकित्सा संस्थानसंपादित करें

    इंजीनियरी संस्थानसंपादित करें

    अन्य प्रमुख शैक्षणिक संस्थानसंपादित करें

    • शेरिकलचर इंसटीचयूट भागलपुर
    • चाणक्य विधि विश्वविद्यालय, पटना
    • अनुग्रह नारायण सामाजिक परिवर्तन संस्थान, पटना
    • ललितनारायण मिश्रा सामाजिक परिवर्तन संस्थान, पटना
    • केंद्रीय प्लास्टिक इंजिनियरिंग रिसर्च इंस्टीच्युट (सिपेट), हाजीपुर
    • केंद्रीय औषधीय शिक्षा एवं शोध संस्थान (नाइपर), हाजीपुर
    • होटल प्रबंधन, खानपान एवं पोषाहार संस्थान, हाजीपुर
    • प्राकृत जैनशास्त्र एवं अहिंसा संस्थान, वैशाली

    भर्ती एजेंसीसंपादित करें

    दर्शनीय स्थलसंपादित करें

    कटिहार

    त्रिमोहिनी संगमसंपादित करें

    त्रिमोहिनी संगम पर बन रहा पर्यटकों के लिए पर्यटन स्थल।

    बिहार के कटिहार जिले के अंतर्गत कुर्सेला प्रखंड के कटरिया गांव के NH-31 से रास्ता त्रिमोहिनी संगम की ओर जाती है।प्रकृति की अनुपम दृश्य देखने को मिलता है। यहाँ तीन नदियों का संगम है जिसमे प्रमुख रूप से गंगा और कोशी का मिलन है।त्रिमोहिनी संगम भारत की सबसे बड़ी उत्तरायण गंगा का संगम है। गंगा नदी दक्षिण से उत्तर दिशा में प्रवाहित होती है। सूर्योदय से ही उत्तर दिशा में प्रवाहित होती है। सूर्योदय की किरणें सीधे गंगा के लहरों पर पड़ती है। जिससे प्रकृति का अनुपम दृश्य उपस्थित हो जाता है। नेपाल से निकलने वाली कोसी के सप्तधाराओं में एक सीमांचल क्षेत्र के कई जिलों से गुजरते हुए यहां आकर गंगा नदी से संगम कर अपना वजूद खो देती है। एक नदी की उत्पत्ति भारत कि सबसे बड़ी उत्तरवाहिनी गंगा[18] तट से हुई है।जिसे कलबलिया के नाम से जाना जाता है। कलबलिया करीब 32 किलोमीटर का सफर तय करती है।

    पटना एवं आसपासः

    पटना राज्य की वर्तमान राजधानी तथा महान ऐतिहासिक स्थल है। अतीत में यह सत्ता, धर्म तथा ज्ञान का केंद्र रहा है। निम्न स्थल पटना के महत्वपूर्ण दार्शनिक स्थल हैं:

    • प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतेंकुम्रहार परिसरअगमकुआँ, महेन्द्रूघाट, शेरशाह के द्वारा बनवाए गए किले का अवशेष
    • ब्रिटिश कालीन भवन: जालान म्यूजियम, गोलघरपटना संग्रहालय, विधान सभा भवन, हाईकोर्ट भवन, सदाकत आश्रम
    • धार्मिक स्थल : महावीर मंदिर,बड़ी पटनदेवी,छोटी पटनदेवी,शीतला माता मंदिर,इस्कॉन मंदिर,हरमंदिर(पटना), महाबोधि मंदिर(गया),

    माता सीता की जन्मस्थली(सीतामढ़ी), कवि विद्यापति सह उगना महादेव मंदिर(मधुबनी), द•भारत स्थापत्यकला विष्णु मंदिर(सुपौल), सिहेश्वरनाथ मंदिर(मधेपुरा), सबसे ऊँची काली मंदिर(अररिया), नृसिंह अवतार स्थल(पूर्णियाँ), सूर्य मंदिर,नवलख्खा मंदिर,थावे(गोपालगंज)माँ दुर्गा माता मंदिर,नेचुआ जलालपुर रामबृक्ष धाम, दुर्गा मंदिर, अमनौर वैष्णो धाम ,आमी अम्बिका दुर्गा मंदिर,माँ दुर्गा की मंदिर छपरा, सीता जी का जन्म स्थान, पादरी की हवेली, शेरशाह की मस्जिद, बेगू ह्ज्जाम की मस्जिद, पत्थर की मस्जिद, जामा मस्जिद, फुलवारीशरीफ में बड़ी खानकाह, मनेरशरीफ - सूफी संत हज़रत याहया खाँ मनेरी की दरगाह, भारत की प्रथम महिला सूफी संत हजरत बीबी कमाल का कब्र (जहानाबाद) mithilanchal

    सारण तथा आसपास

    प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा से लगनेवाला सोनपुर मेला[19]सारण जिला का नवपाषाण कालीन चिरांद गाँव[20], कोनहारा घाट, नेपाली मंदिर, रामचौरा मंदिर, १५वीं सदी में बनी मस्जिद, दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुलमहात्मा गाँधी सेतु, गुप्त एवं पालकालीन धरोहरों वाला चेचर गाँव

    वैशाली तथा आसपास
    छठी सदी इसापूर्व में वज्जिसंघ द्वारा स्थापित विश्व का प्रथम गणराज्य के अवशेष, अशोक स्तंभ, बसोकुंड में भगवान महावीर की जन्म स्थली, अभिषेक पुष्करणी, विश्व शांतिस्तूप, राजा विशाल का गढ, चौमुखी महादेव मंदिर, भगवान महावीर के जन्मदिन पर वैशाख महीने में आयोजित होनेवाला वैशाली महोत्सव
    राजगीर तथा आसपास
    राजगृह मगध साम्राज्य की पहली राजधानी तथा हिंदू, जैन एवं बौध धर्म का एक प्रमुख दार्शनिक स्थल है। भगवान बुद्ध तथा वर्धमान महावीर से जुडा कई स्थान अति पवित्र हैं। वेणुवनसप्तपर्णी गुफागृद्धकूट पर्वत, जरासंध का अखाड़ा, गर्म पानी के कुंड, मख़दूम कुंड आदि राजगीर के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल हैं।
    नालंदा तथा आसपासः नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष, पावापुरी में भगवान महावीर का परिनिर्वाण स्थल एवं जलमंदिर, बिहारशरीफ में मध्यकालीन किले का अवशेष एवं १४वीं सदी के सूफी संत की दरगाह (बड़ी दरगाह एवं छोटी दरगाह), नवादा के पास ककोलत जलप्रपात
    गया एवं बोधगया
    हिंदू धर्म के अलावे बौद्ध धर्म मानने वालों का यह सबसे प्रमुख दार्शनिक स्थल है। पितृपक्ष के अवसर पर यहाँ दुनिया भर से हिंदू आकर फल्गू नदी किनारे पितरों को तर्पण करते हैं। विष्णुपद मंदिर, बोधगया में भगवान बुद्ध से जुड़ा पीपल का वृक्ष तथा महाबोधि मंदिर के अलावे तिब्बती मंदिर, थाई मंदिर, जापानी मंदिर, बर्मा का मंदिर, बौधनी पहाड़ी { इमामगंज }
    भागलपुर तथा आसपास
    प्राचीन शिक्षा स्थल के अलावे यह बिहार में तसर सिल्क उद्योग केंद्र है। पाल शासकों द्वारा बनवाये गये प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय का अवशेष, वैद्यनाथधाम मंदिर, सुलतानगंजमुंगेर में बनवाया मीरकासिम का किला, मंदार पर्वत बौंसी बाँका एक प्रमुख धार्मिक स्थल जो तीन धर्मो का संगम स्थल है। विष्णुपुराण के अनुसार समुद्र मंथन यही संपन्न हुआ था और यही पर्वत जिसका प्राचीन नाम मंद्राचल पर्वत( मंदार वर्तमान में) जो की मथनी के रूप में प्रयुक्त हुआ था।
    चंपारण
    सम्राट अशोक द्वारा लौरिया में स्थापित स्तंभ, लौरिया का नंदन गढ़, नरकटियागंज का चानकीगढ़, वाल्मीकिनगर जंगल, बापू द्वारा स्थापित भीतीहरवा आश्रम, तारकेश्वर नाथ तिवारी का बनवाया रामगढ़वा हाई स्कूल, स्वतंत्रता आन्दोलन के समय महात्मा गाँधी एवं अन्य सेनानियों की कर्मभूमि तथा अरेराज में भगवान शिव का मन्दिर, केसरिया में दुनिया का सबसे बड़ा बुद्ध स्तूप जो पूर्वी चंपारण में एक आदर्श पर्यटन स्थल है .
    सीतामढी तथा आसपास
    पुनौरा में देवी सीता की जन्मस्थली, जानकी मंदिर एवं जानकी कुंड, हलेश्वर स्थान, पंथपाकड़, यहाँ से सटे नेपाल के जनकपुर जाकर भगवान राम का स्वयंवर स्थल भी देखा जा सकता है।
    सासाराम
    अफगान शैली में बनाया गया अष्टकोणीय शेरशाह का मक़बरा वास्तुकला का अद्भुत नमूना है।
    देव - देव सूर्य मंदिर
    देव सूर्य मंदिर की तस्वीर अद्भुत शिल्प कला का स्वरूप

    देव सूर्य मंदिरदेवार्क सूर्य मंदिर या केवल देवार्क के नाम से प्रसिद्ध, यह भारतीय राज्य बिहार के औरंगाबाद जिले में देव नामक स्थान पर स्थित एक हिंदू मंदिर है जो देवता सूर्य को समर्पित है। यह सूर्य मंदिर अन्य सूर्य मंदिरों की तरह पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिमाभिमुख है।[21]

    देवार्क मंदिर अपनी अनूठी शिल्पकला के लिए भी जाना जाता है। पत्थरों को तराश कर बनाए गए इस मंदिर की नक्काशी उत्कृष्ट शिल्प कला का नमूना है। इतिहासकार इस मंदिर के निर्माण का काल छठी - आठवीं सदी के मध्य होने का अनुमान लगाते हैं जबकि अलग-अलग पौराणिक विवरणों पर आधारित मान्यताएँ और जनश्रुतियाँ इसे त्रेता युगीन अथवा द्वापर युग के मध्यकाल में निर्मित बताती हैं।

    परंपरागत रूप से इसे हिंदू मिथकों में वर्णित, कृष्ण के पुत्र, साम्ब द्वारा निर्मित बारह सूर्य मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर के साथ साम्ब की कथा के अतिरिक्त, यहां देव माता अदिति ने की थी पूजा मंदिर को लेकर एक कथा के अनुसार प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवारण्य में छठी मैया की आराधना की थी। तब प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था। इसके बाद अदिति के पुत्र हुए त्रिदेव रूप आदित्य भगवान, जिन्होंने असुरों पर देवताओं को विजय दिलायी। कहते हैं कि उसी समय से देव सेना षष्ठी देवी के नाम पर इस धाम का नाम देव हो गया और छठ का चलन भी शुरू हो गया। अतिरिक्त पुरुरवा ऐल, और शिवभक्त राक्षसद्वय माली-सुमाली की अलग-अलग कथाएँ भी जुड़ी हुई हैं जो इसके निर्माण का अलग-अलग कारण और समय बताती हैं। एक अन्य विवरण के अनुसार देवार्क को तीन प्रमुख सूर्य मंदिरों में से एक माना जाता है, अन्य दो लोलार्क (वाराणसी) और कोणार्क हैं।

    मंदिर में सामान्य रूप से वर्ष भर श्रद्धालु पूजा हेतु आते रहते हैं। हालाँकि, यहाँ बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में विशेष तौर पर मनाये जाने वाले छठ पर्व के अवसर पर भारी भीड़ उमड़ती है।

    सन्दर्भसंपादित करें

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    3.  सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; StateProfile नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
    4.  "MOSPI Gross State Domestic Product"Ministry of Statistics and Programme ImplementationGovernment of India. 1 March 2019. अभिगमन तिथि 9 June 2019.
    5. ↑   "The Bihar Official Language Act, 1950" (PDF)Cabinet Secretariat Department, Government of Bihar. 1950. मूल से 13 April 2015 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 9 April 2015.
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    7.  "Sub-national HDI – Area Database"Global Data Lab (अंग्रेज़ी में). Institute for Management Research, Radboud University. मूल से 23 September 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 September 2018.
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    9.  "Census 2011 (Final Data) – Demographic details, Literate Population (Total, Rural & Urban)" (PDF)planningcommission.gov.in. Planning Commission, Government of India. मूल (PDF) से 27 January 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 October 2018.
    10.  "Archived copy" (PDF)मूल (PDF) से 5 March 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 May 2016.
    11.  Chitransh, Anugya (1 September 2012). "Bhojpuri is not the only language in Bihar"Hill Postमूल से 28 दिसंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 April 2015.
    12.  "संग्रहीत प्रति"मूल से 3 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 अप्रैल 2019.
    13.  "Bihar Civic elections likely in May 2017". मूल से 31 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 मार्च 2017.
    14.  "बिहार : नगर विकास एवं आवास विभाग की पहल, पुनर्गठन से नगर परिषदों की बढ़ जायेगी संख्या"मूल से 24 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मार्च 2017.
    15.  "Ward delimitation begins in Chhapra". मूल से 27 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मार्च 2017.
    16.  "पहली बार कोई महिला बनेगी पटना नगर निगम की मेयर"मूल से 24 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मार्च 2017.
    17.  "छपरा को निगम बख्तियारपुर को मिला नगर परिषद का दर्जा". मूल से 24 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मार्च 2017.
    18.  "Trimohini Sangam Sthal,Kataria"m.facebook.com. अभिगमन तिथि 2021-01-31.
    19.  "उत्तर वैदिक काल से शुरू हुआ था सोनपुर मेला"मूल से 26 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 मार्च 2017.
    20.  "BIHAR: A QUICK GUIDE TO SARAN". मूल से 23 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 मार्च 2017.
    21.  {{cite web | last=Sharma | first=Sunil | title=खुद को बचाने के लिए सूर्य मंदिर ने बदल ली थी दिशा | website=www.patrika.com | date=3 जनवरी 2015 | url=https://www.patrika.com/news/temples/ancient-surya-temple-changed-direction-from-east-to-west-to-save-itself-1001498 Archived 2018-01-10 at the Wayback Machine

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